मन का संग्रहालय
मन का संग्रहालय।
मन के संग्रहालय में छुपी पड़ी है।
ना जाने कितनी किताबें।
किसी पर बचपन की स्मृतियाँ।
किसी पर नयी जीवन की है झांकी।
हर किताब हर पन्ने पर।
जीवन दर्शन लिखा है।
कही छपा है दर्द का सैलाब।
कही प्यार की लिखी परिभाषा है।
कही मात पिता से मिला दुलार ।
कही अपने माता-पिता के बनने की कहानी है ।
अपने बचपन से लेकर।
पचपन की उम्र तक की रवानी है।
एक एक शब्द दिल को छू जाता है।
मूक प्रेम की दृष्टि से लेकर।
परमात्मा के चरणों की अनुभूति की ।
अजब गज़ब रूहानी है।
मन के रिश्ते बन जाते है।
नित दिन ह्दय के पटल पर।
कही खुशी लिख जाते है।
कही विदाई का बेहताश आलम है।
गति मंद से चल रही।
पल पल अज्ञात जीवन की कहानी।
कभी एक तेज झोंके से रफ्तार पकड़ ।
नयी लिख जाती है एक सुन्दर कहानी।
मुखपृष्ठ पर बनी है एक विशिष्ट तस्वीर।
जो अन्तर्मन की गाँठ बाँधे है।
खुलकर सामने आ जाता ।
जब सत्य सबको साधें है।
आँखो से दिख जाते है पन्नों के कोर।
व्यथित मन हो या हँसी की हिलोर।
पलटते ही प्रसंगों की।
निष्ठा में परिवर्तित हो जाती है सिरमौर।
नीलम गुप्ता🌹🌹 (नजरिया )🌹🌹
दिल्ली
murtaza
06-Jun-2021 11:07 AM
👌👌👌👌
Reply
Vfyjgxbvxfg
18-May-2021 06:18 PM
बेहद खूबसूरत पंक्तियां
Reply
NEELAM GUPTA
19-May-2021 05:50 PM
आपका बहुत बहुत आभार
Reply